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Asaduddin Owaisi

Bihar चुनाव मजबूती से लड़ेगी AIMIM, ओवैसी ने किया ऐलान

Lucknow Desk: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ने लगा है। इस बार बिहार में NDA और इंडिया गठबंधन के बीच सीधी लड़ाई होने वाली है। इसी बीच चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का ऐलान कर दिया है। इस फैसले से विपक्ष को बड़ा झटका लगा है। इसके साथ ही विपक्ष ने इसका समर्थन भी किया और साथ देने की भी बात की। इस बार बिहार में हो रहे विधानसभा चुनाव को जातीय जनगणना से जोड़ा जा रहा है। इस बीच AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। जिसके वजह से आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की टेंशन बढ़ गई है।

चुनाव का ऐलान करते हुए ओवैसी ने ये भी कहा है कि वो 3 मई को बिहार का दौरा भी करने वाले हैं। 4 मई को वो अन्य जगहों पर भी रैलियां करेगें। ओवैसी ने बहादुरगंज से उम्मीदवार की घोषणा भी कर दी है। जिससे साफ हो गया है कि वह सीमांचल की जमीनी लड़ाई में पूरी ताकत से उतरने को तैयार हैं और सीमांचल को अपना चुनावी मुख्यालय बना सकते हैं।

बता दें, सीमांचल की राजनीति बिहार में हमेशा से मुस्लिम मतदाताओं के लिए निर्णायक रही है। किशनगंज में मुस्लिम आबादी 67% से अधिक है और यह इलाका ओवैसी के लिए मजबूत गढ़ बन चुका है। उन्होंने अपने हालिया बयानों में इस बात को दोहराया कि जो नेता जनता का साथ छोड़ गए, उन्हें इस बार सबक सिखाया जाएगा।

वहीं ओवैसी ने जाति जनगणना पर भी अपनी बात करते हुए कहा कि जाति जनगणना होनी चाहिए ताकि पता चल सके कि कौन सी जाति विकसित है और कौन सी जाति अविकसित है। देश में सकारात्मक कार्रवाई और न्याय के लिए यह बहुत ज़रूरी है। ओवैसी ने ओबीसी आरक्षण को लेकर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि ओबीसी का आरक्षण सिर्फ 27 % पर रोक दिया गया है, जो कि पर्याप्त नहीं है।

गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में AIMIM ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 5 सीटों पर जीत हासिल की थी। यह सफलता सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाकों में आई थी, जहाँ किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जैसे जिलों में ओवैसी की पार्टी ने असर दिखाया। माना जाता है कि कई सीटों पर आरजेडी की हार का कारण भी AIMIM के उम्मीदवार ही बने।

भले ही बिहार की राजनीति में ओवैसी की पार्टी नई है, लेकिन सीमांचल में उनकी पकड़ मजबूत है। अगर इस बार बिहार चुनाव में AIMIM 10 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ती है, तो इसका असर आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू सभी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। ऐसे में देखना यह दिलचस्प होगा कि AIMIM कितनी सीटें जीतती है, और क्या वह अगली सरकार के गठन में कोई भूमिका निभा पाएगी या नहीं?

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