
लालू की बेटी ने गिनाई मोदी सरकार की 11 साल की उपलब्धि, जानें क्या बोलीं Rohini Acharya?
Lucknow Desk: केंद्र की सत्ता में मोदी सरकार के 11 साल बीत चुके हैं। साल 2014 में केंद्र में भारी बहुमत के साथ एनडीए की सरकार सत्ता में आई थी, जिसके बाद नरेंद्र मोदी को भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया था। वहीं साल 2019 में दूसरी बार और 2024 के लोकसभा चुनाव में तीसरी बार देश की जनता ने पीएम मोदी को अपना आशीर्वाद दिया। जिसके बाद तीसरी बार नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने।
बीजेपी का कहना है कि मोदी सरकार इन 11 सालों में 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' के मंत्र को लेकर आगे बढ़ी है। इस बीच लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने हमला किया है।
पीएम मोदी पर Rohini Acharya ने बोला हमला
Rohini Acharya ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “देश की बदहाली के ग्यारह साल .. नेहरू जी , इंदिरा जी , यूपीए की सरकारों की उपलब्धियों में जबरिया खोट निकालते - निकालते, पूर्ववर्ती सरकार की उपलब्धियों को अपना बताते - बताते ही बीत गए मोदी सरकार के ग्यारह साल .. ग्यारह सालों में कुछ ऐसा किया ही नहीं जिसे ये सरकार बता सके बेमिसाल, अर्थव्यवस्था कर दी फटेहाल और देश को दिया भ्रष्टाचार , बलात्कार व् झूठे प्रचार का उपहार..”
Rohini Acharya ने आगे लिखा, "देश की जमीन पर विदेशी अतिक्रमण , सीमा पार से धड़ल्ले से जारी घुसपैठ , अनवरत आतंकवाद का प्रहार , कमरतोड़ - बेलगाम महंगाई , बेहिसाब बेरोजगारी , डॉलर के मुकाबले दिन - ब - दिन कमजोर होता रूपया , देश पर विदेशी कर्जे का ऐतिहासिक बोझ , गलत विदेश - नीति से वैश्विक पटल पर अलग - थलग पड़ता भारत , पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में पिछले दो वर्षों से कायम अराजकता , संवैधानिक संस्थाओं - व्यवस्थाओं पर कब्जे की कोशिशें , संविधान को बदलने की कुत्सित मंशा , विपक्ष के खिलाफ सरकारी एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल"।
Rohini Acharya ने अंत में लिखा, "सैन्य - बलों के पराक्रम व् सेना के अभियानों को अपना श्रेय बता चुनावी - राजनीतिक फायदा लेने की कवायदें , सामाजिक - धार्मिक वैमनस्यता - विद्वेष का एकसूत्री एजेंडा, अल्पसंख्यकों - दलितों की प्रताड़ना , महीने भर के लिए मात्र पाँच किलो अनाज का झोला , चुनी गयी सरकारों को गिराने की साजिशें , सवाल उठाने वालों पर दमनात्मक - प्रतिशोधात्मक कार्रवाई, बलात्कारियों - यौनचारियों - भ्रष्टाचारियों को संरक्षण , संसाधनों - सरकारी उपक्रमों को अपने पूंजीपति मित्रों को सौंपें जाने का सिलसिला " यही सब तो पिछले ग्यारह सालों में देश को मोदी सरकार से है मिला , मगर बड़ी बेशर्मी से अपनी पीठ खुद ही थपथपाने का जारी है सिलसिला..”।