Lucknow Desk: आखिरकार साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 28-29 अक्तूबर की मध्य रात्रि में खत्म हुआ। बता दे कि यह साल 2023 का अंतिम ग्रहण था। इस ग्रहण को भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, एशिया, हिंद महासागर, अटलांटिक, दक्षिणी प्रशांत महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में देखा गया है।
साल का आखिरी चंद्रग्रहण खत्म
दरअसल, साल 2023 का आखिरी चंद्रग्रहण खत्म हो गया है। भारत में चंद्रग्रहण रात 1:05 बजे शुरू हुआ और रात 2:24 बजे खत्म हो गया। चंद्रग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव 1:44 बजे दिखा। देश में कई जगहों पर यह खगोलीय घटना दिखाई दी।
ग्रहण के खत्म होने के बाद क्या करें
धर्म शास्त्रों में ग्रहण को अच्छा नहीं माना जाता है। ग्रहण के खत्म होने के बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें और स्नान करें। नहाने के बाद पूजा घर का गंगाजल से शुद्ध करते हुए भगवान की पूजा-आराधना करें। ग्रहण के बाद दान भी काफी महत्व होता है।
ग्रहण का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, अमृत पाने के लिए देवताओं और दानवों के बीच जब समुद्र मंथन किया गया तब अमृत पाने के लिए देवों और दानवों के बीच विवाद होने लगा। इस विवाद को सुलझाने और देवताओं को अमृत पान करवाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया। भगवान विष्णु ने सभी देवों और दानवों को अलग-अलग पंक्ति में बिठा दिया। मोहिनी रूप धारण किए हुए विष्णु जी देवताओं को अमृतपान कराने लगे। लेकिन छल से राहु देवताओं की लाइन में आकर बैठ गया और अमृत पान कर लिया।
देवों की पंक्ति में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने राहु को ऐसा करते हुए देख लिया। उन्होने इस बात की जानकारी भगवान विष्णु को दे दी। इस बात की जानकारी होते ही भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया,परंतु राहु के अमृत पान करने के कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। जिसके बाद उसके सिर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु के नाम से जाना गया। इसी कारण राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं। पूर्णिमा और अमावस्या के दिन राहु-केतु सूर्य और चंद्रमा को ग्रास लेते हैं। जिसके कारण चंद्र और सूर्य ग्रहण लगता है।