नई दिल्ली: मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह विवाद में नया मोड़ आ गया है। वाराणसी के ज्ञानवापी की तरह, शाही ने ईदगाह के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है। इस संबंध में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग की गई है। बता दें कि भारतीय पुरातत्व विभाग यानी एएसआई की टीम ज्ञानवापी में सर्वे कर रही है।
बता दे कि आशुतोष पांडे श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह सिद्धपीठ माता शाकुम्बरी के पीठाधीश्वर भगुवंशी के अध्यक्ष हैं। उन्होंने ही सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। याचिकाकर्ता का तर्क है कि ऐसे निर्माण को मस्जिद नहीं माना जा सकता। इसके अलावा 1968 की संधि की वैधता के ख़िलाफ तर्क देते हुए इसे धोखाधड़ी कहा गया है।
याचिकाकर्ता अंशूबंशी आशुतोष पांडे ने आरोप लगाया कि शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति जैसे निकाय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में शामिल थे। उन्होंने दावा किया कि मंदिर के स्तंभों और प्रतीकों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। जनरेटर का प्रयोग किया गया। इससे दीवारों और खंभों को ज्यादा नुकसान हुआ।
याचिकाकर्ता ने परिसर में नमाज और अन्य गतिविधियों पर भी सवाल उठाए। उनका तर्क है कि जमीन को आधिकारिक तौर पर 'ईदगाह' के नाम पर दर्ज नहीं किया जा सकता है। क्योंकि, इसका टैक्स 'कटरा केशव देव, मथुरा' के नाम पर वसूला जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील सार्थक चतुर्वेदी ने यह याचिका दायर की है। इसमें विवादित भूमि की पहचान, स्थान और माप की जांच की मांग की गई। इसमें दोनों पक्षों द्वारा किए गए दावों को प्रमाणित करने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता बताई गई। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि अनुरोध ज्ञानवापी में चल रहे एएसआई सर्वेक्षण से प्रेरित था। सर्वेक्षण स्थल के ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व को निर्धारित करेगा।
इससे पहले कोर्ट ने शाही ईदगाह में अमीन सर्वे का आदेश दिया था। हालांकि, बाद में कोर्ट की हाई बेंच ने इस पर रोक लगा दी। फिलहाल जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद से जुड़े मामले हाईकोर्ट में लंबित हैं। उधर, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट ने यह अर्जी दाखिल की है। वह ट्रस्ट कुछ महीने पहले ही बनाया गया था।