Lucknow Desk : प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समाचार एजेंसी को इंटरव्यू दिया। जिसमे उन्होंने वो सारी बात कही जो आज तक हुआ। उन्होंने कहा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता से कई सकारात्मक प्रभाव होंगे, जिनमें से कुछ मेरे दिल के बेहद करीब हैं। उन्होंने कहा कि जी-20 में हमारे शब्दों और दृष्टिकोण को दुनिया भविष्य के रोडमैप के रूप में देखती है, न कि विचारों के रूप में।
उन्होंने कहा कि 'गैरजिम्मेदार आर्थिक नीतियों और लोक-लुभावन नीतियों से कम वक्त में राजनीतिक फायदा मिल सकता है लेकिन लंबे समय में इसकी बड़ी आर्थिक और सामाजिक कीमत चुकानी पड़ती है। इनकी वजह से गरीब लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है। भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन जाएगा। हमारे राष्ट्रीय जीवन में भ्रष्टाचार, जातिवाद और साम्प्रदायिकता का कोई स्थान नहीं होगा।
पाकिस्तान और चीन की आपत्तियों को किया खारिज
प्रधानमंत्री ने कश्मीर और अरुणाचल में G20 बैठक पर पाकिस्तान और चीन की आपत्तियों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि देश के हर हिस्से में बैठकें आयोजित करना स्वाभाविक है।
20वीं सदी की सोच 21वीं सदी में नहीं चलेगी'
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पास लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और विविधता है और अब हम इसमें एक और डी जोड़ रहे हैं और वो डी है डेवलेपमेंट (विकास)। संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 20वीं सदी की सोच 21वीं सदी में नहीं चल सकती। उन्होंने कहा कि यदि बहुपक्षीय बड़े संस्थान समय के साथ नहीं बदलते हैं तो छोटे क्षेत्रीय मंच ज्यादा अहम हो जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को बदलती हकीकत को समझना चाहिए और अपनी प्राथमिकताओं पर फिर से गौर करना चाहिए ताकि सभी को प्रतिनिधित्व मिल सके।
भारत ने 2070 तक नेट जीरो बनने का लक्ष्य रखा है। सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों को लेकर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि फर्जी खबरें और डीप फेक अराजकता फैला सकती हैं और साथ ही इससे समाचार स्त्रोतों की विश्वसनीयता भी खो सकती है। इससे सामाजिक तौर पर अशांति फैल सकती है। कर्ज संकट दुनिया के लिए गंभीर संकट है और खासकर विकासशील देश इससे ज्यादा प्रभावित हैं। हम जी20 अध्यक्ष रहें या ना रहें, हम दुनिया भर में शांति स्थापित होने का समर्थन करते रहेंगे।