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Shashi Tharoor Attacks Congress Over Emergency Atrocities

Shashi Tharoor ने कांग्रेस पर साधा निशाना, याद दिलाए इंदिरा गांधी की ओर से लगाए गए आपातकाल

Lucknow Desk: कांग्रेस नेता Shashi Tharoor एक बार फिर कांग्रेस को लेकर बयान दिए हैं। इस बार Shashi Tharoor ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से लगाए गए आपातकाल की कड़ी आलोचना की है। इस दौरान Shashi Tharoor  ने कहा कि किस तरह अक्सर आजादी को छीना जाता है। उन्होंने ये भी कहा कि आपातकाल ये भी दिखाता है कि कैसे दुनिया मानवाधिकारों के हनन से अनजान रही।

Shashi Tharoor ने 1975 में हुए आजादी का जिक्र करते हुए कहा कि कैसे आजादी खत्‍म की जाती है, ये 1975 में सभी ने देखा है, लेकिन आज का भारत 1975 का भारत नहीं है। यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी Shashi Tharoor, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की तारीफ कर चुके हैं। बता दें, ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई देशों में भारत का पक्ष रखने के लिए भारत सरकार ने सांसदों की टीम बनाई गई थी, उसमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी शामिल थे। शशि थरूर ने विदेशी धरती पर मोदी सरकार का जमकर समर्थन किया था।

'भारत के इतिहास का सिर्फ एक काले अध्याय ही नहीं': Shashi Tharoor

Shashi Tharoor ने आपातकाल को भारत का काला अध्याय बताया है। उन्होंने कहा कि आपातकाल को भारत के इतिहास के एक काले अध्याय के रूप में ही याद नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसके सबक को पूरी तरह से समझा जाना चाहिए।

वहीं गुरुवार को मलयालम दैनिक दीपिका में आपातकाल पर प्रकाशित एक लेख में थरूर ने 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के काले दौर को याद किया। कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के लिए किए गए प्रयास अक्सर क्रूरता के ऐसे कृत्यों में बदल जाते थे, जिन्हें उचित नहीं ठहराया जा सकता है।

'आज का भारत 1975 का भारत नहीं' : Shashi Tharoor

Shashi Tharoor ने कहा कि लोकतंत्र को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। यह एक अनमोल विरासत है, जिसे निरंतर पोषित और संरक्षित किया जाना चाहिए। इसे हर जगह के लोगों के लिए एक स्थायी प्रेरणा स्रोत के रूप में काम करने दें।

'लोकतंत्र के रक्षकों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए': Shashi Tharoor

वहीं थरूर ने चेतावनी दी कि सत्ता को केंद्रीकृत करने असहमति को दबाने और संवैधानिक सुरक्षा उपायों को दरकिनार करने का लालच कई रूपों में सामने आ सकता है। अक्सर ऐसी प्रवृत्तियों को राष्ट्रीय हित या स्थिरता के नाम पर उचित ठहराया जाता है। इस लिहाज से आपातकाल एक कड़ी चेतावनी है। इससे लोकतंत्र के रक्षकों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए।


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