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MS Dhoni Runout

MS Dhoni : रन आउट से रन आउट तक एम एस धोनी की एक बेमिसाल कहानी

MS Dhoni : एम एस धोनी के करियर के शुरुवात आज के ही दिन 23 दिसम्बर 2004 में होती है। पर इस सफर की शुरुवात एक बेहद खराब तरीके से होती है। जो शायद कोई भी क्रिकेटर नहीं चाहता है। दरअसल धोनी अपने पहले मुकाबले में बांग्लादेश के खिलाफ निचले क्रम में बल्लेबाजी करने के लिए आते है। पर वह बिना खाता खोले ही रन आउट होकर पवेलियन लौट जाते हैं। पर वह कहते हैं ना कि व्यक्ति अपनी शुरुवात नहीं अंजाम से जाना जाता है। धोनी के साथ कुछ वैसा ही होता है वह अपने अंतिम अंतराष्ट्रीय मुकाबले में भी रनआउट होते हैं। पर वह रनआउट हर भारतीय को रुला जाता है। क्योंकि इस रनआउट से उस पहले रनआउट के बीच 15 साल का बड़ा समय होता है। जहां पर वह भारतीय टीम को अपनी कप्तानी में 2007 में टी20 वर्ल्डकप 2011 में वनडे वर्ल्डकप और 2013 में चैंपियस ट्रॉफी तीनो ही ट्रॉफियां जीता चुके थे।

एक पारी जिसने बदल दी जिंदगी

वैसे तो एम एस धोनी ने कई महान पारियां खेली हैं अपने करियर की शुरुवात में एक ऐसा मैच भी उनके सामने आया था। जहां पर अगर वह खराब प्रदर्शन करते तो शायद वह जहां आज हैं वहां न होते जी हां हम बात कर रहे हैं। भारत बनाम पाकिस्तान के उस सीरीज कि जिसमें धोनी का पहले से खेलना तय नहीं था। पर सौरव गांगुली उनमें विशवास जताया और पाकिस्तान सीरीज में मौका दिया पर पहले मुकाबले में धोनी वहां भी कुछ खास नहीं कर सके पर जब दूसरे मुकाबले एक बार फिर से गांगुली उन्हें मौका देते हुए नंबर तीन पर बल्लेबाजी को भेजा तो धोनी ने सबको दिखा दिया कि वह क्या कर सकते हैं। उन्होंने उस मैच में 148 रन कि ताबड़तोड़ पारी खेली वह भी महज 123 गेंदो पर जिसमें 15 चौके और 4 छक्के शामिल थे। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

कैसे और क्यों मिली कप्तानी ?

एम एस धोनी विश्व के महानतम कप्तानों में से एक हैं यह तो सभी को पता होगा। पर यह बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि वह कैसे और क्यों कप्तान बनाए गए। दरअसल जब राहुल द्रविड़ की कप्तानी में भारतीय टीम 2007 के वनडे विश्वकप से ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गयी थी। उसके तुरंत बाद भारतीय टीम को पहली बार आयोजित टी20 विश्वकप के लिए दक्षिण अफ्रिका जाना था। जिसे ज्यादा महत्वता ना देते हुए सभी सीनीयर खिलाड़ियों ने उससे हटने का फैसला किया। पर बावजूद इसके उस समय के मुख्य चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने सचिन से कप्तानी करने का आग्रह किया। पर उन्होंने बहुत ही विनम्रता पुर्वक उसे ठुकरा दिया। जिसके बाद उन्होंने धोनी का नाम सुझाया चयनकर्ता को और इसके बाद इसे ही आगे बढ़ाते हुए पूरी नयी नवेली टीम भेजने का मन बनाया जिसमें धोनी को कप्तान चुना गया। पर इसके बाद भी यह तय नहीं था कि वह राहुल द्रविड़ के उत्तराधिकारी होंगे। पर जैसे ही उनकी कप्तानी में टीम इंण्डिया विश्वकप जीती उसके बाद जल्द ही राहुल द्रविड़ ने भी कप्तानी से इस्तीफा दे दिया। और एक बार फिर सचिन के सुझाव और खिलाड़ियों कि प्रतिक्रिया के आधार पर उन्हें सफेद गेंद का पूर्ण रूप से कप्तान बना दिया।


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