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RAHUL GANDHI

मोदी सरकार पर बरसे राहुल गांधी ! वोट के बाद राशन और आधार भी छीन लेंगे !

Lucknow Desk : बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं...जिसके चलते सभी राजनीतिक दल ने कमर कस ली है। बता दे कि बिहार में एसआईआर के खिलाफ महागठबंधन की तरफ से वोटर अधिकार यात्रा निकाली जा रही है। रैली के 12वें दिन राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने सीतामढ़ी के जानकी माता मंदिर में दर्शन के साथ अपनी यात्रा की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने सीतामढ़ी में आम जनता को संबोधित किया और चुनाव आयोग और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ” हमें मालूम है ये बिहार में चुनाव चोरी करने की कोशिश कर रहे है. इसलिए हमने वोटर अधिकार यात्रा शुरू की है। चुनाव आयुक्त को पता लग जाए बिहार की जनता होशियार है एक वोट चोरी करने नहीं देगी। मै दलित भाइयों से कहना चाहता हूं। आप याद रखिए आजादी से पहले आपकी क्या हालात थी? आपको मारा जाता था, आपको अछूत कहा जाता था संविधान ने आपको अधिकार दिए हैं। बीजेपी आपसे अधिकार छीनना चाहती है। पैंसठ लाख वोट कटे हैं। उसमें एक अमीर आदमी का नाम नहीं है। ये गरीबों से वोट चोरी कर रहे हैं। आपकी आवाज को दबाना चाहते हैं. ये आपकी आवाज कभी नहीं दबा पाएंगे. हम आपके साथ खड़े है। वहीं इसके बाद सीतामढ़ी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, तेजस्वी यादव ने कहा, “हमारे चाचा (नीतीश कुमार), जो बार-बार अपना रुख बदलते रहते हैं, बिहार पर शासन करने की स्थिति में नहीं हैं। बिहार के लोगों को रोजगार और नौकरियां चाहिए है। बिहार लोकतंत्र की जन्मभूमि है। बीजेपी और उसका सहयोगी – चुनाव आयोग – इस धरती से लोकतंत्र को खत्म करना चाहते हैं। वे न केवल आपके वोट के अधिकार को खत्म करना चाहते हैं, बल्कि आपके अस्तित्व को भी खत्म करना चाहते हैं। नरेंद्र मोदी जी लोकतंत्र को खत्म करके ‘राजतंत्र’ स्थापित करना चाहते हैं। आपको बताते चले कि बिहार की राजनीति में लालू यादव का शासनकाल अब भी बहस का बड़ा मुद्दा है। बीजेपी बार-बार ‘लालू-राबड़ी राज’ का हवाला देकर सवर्ण और गैर-यादव ओबीसी वोटरों को साधने की कोशिश करती रही है। यही वह वर्ग है जो कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक हुआ करता था। तेजस्वी यादव ने पिछले कुछ सालों में अपनी राजनीति का दायरा बढ़ाने की कोशिश जरूर की है, लेकिन उनकी छवि अब भी यादव-मुस्लिम राजनीति तक सीमित मानी जाती है। ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि अगर चुनाव से पहले उन्हें चेहरा घोषित किया गया तो सवर्ण और दलित वोटरों में नकारात्मक असर हो सकता है। यही वजह है कि पार्टी इस बार सॉफ्ट हिंदुत्व और राष्ट्रीय नेतृत्व पर फोकस कर रही है, ताकि सवर्ण वोटरों को दोबारा अपनी ओर खींचा जा सके।


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