Lucknow Desk: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष Maulana Mahmood Madani के बयान से राजनीति में हंगामा खड़ा हो गया है। दरअसल, भोपाल में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की गवर्निंग बॉडी काउंसिल की मीटिंग में Maulana Mahmood Madani ने सुप्रीम कोर्ट पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इसके अलावा उन्होंने जिहाद शब्द को लेकर उठाए जा रहे सवालों पर भी आपत्ति जताई है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की नेशनल गवर्निंग बॉडी मीटिंग में उन्होंने कहा कि जिहाद, इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मनों ने जिहाद जैसे इस्लाम के पवित्र विचारों को गलत इस्तेमाल, गड़बड़ी और हिंसा से जुड़े शब्दों में बदल दिया है।
जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद: Maulana
Maulana Mahmood Madani ने आगे कहा कि लव जिहाद, लैंड जिहाद, एजुकेशन जिहाद और थूक जिहाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल होता है उससे मुसलमानों को बहुत दुख होता है। मुसलमानों के धर्म का अपमान होता है। सरकार और मीडिया पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार और मीडिया जिम्मेदार पदों पर बैठे है फिर भी ये लोग ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। उन्हें ऐसा कहने में न कोई शर्म नहीं आती है। हमारे धर्म को ऐसा बोलकर दुख पहुंचाते हैं। इसी दौरान विवादित टिप्पणी करते हुए मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद जरूर होगा।
बुलडोजर एक्शन पर भड़के Maulana
Maulana Mahmood Madani ने आगे कहा कि देश के मौजूदा हालात बहुत संवेदनशील और चिंताजनक हैं। दुख की बात है कि एक समुदाय को कानूनी तौर पर कमजोर, सामाजिक रूप से अलग-थलग और आर्थिक रूप से बेदखल किया जा रहा है। उनके धर्म, पहचान और वजूद को कमजोर करने के लिए मॉब लिंचिंग, बुलडोजर एक्शन, वक्फ प्रॉपर्टी पर कब्जा और धार्मिक मदरसों और सुधारों के खिलाफ निगेटिव कैंपेन जैसी कोशिशें हो रही हैं।
मुसलमान असुरक्षित: Maulana
Maulana Mahmood Madani ने कहा कि आज के समय में मुसलमान खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। हर जगह उन्हें नफरत का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए अब हम लोग को तैयार होना पड़ेगा। घर वापसी के नाम पर किसी खास धर्म में शामिल करने वालों को खुली छूट हासिल है। उन पर कोई सवाल नहीं उठाया जाता है। न ही कानूनी कार्रवाई होती है। यह पूरी तरह से दोहरा रवैया है।
‘बाबरी मस्जिद और तलाक पर भड़के Maulana
Maulana Mahmood Madani ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों और उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि ‘बाबरी मस्जिद और तलाक जैसे मामलों में अदालतों पर सरकार का प्रभाव साफ दिखता था। कानून को नजरअंदाज करते हुए ज्ञानवापी और मथुरा विवादों की सुनवाई हुई। ‘सुप्रीम कोर्ट को तभी ‘सुप्रीम’ कहलाने का हकदार है जब वह संविधान की पाबंदी करे। अगर ऐसा नहीं होता है, तो सुप्रीम होने पर ही सवाल खड़ा होता है।
Lucknow Desk: बिहार के मोकामा से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहाँ चुनाव प्रचार के दौरान हमला किया गया। इस घटना में जानी-मानी हस्ती दुलारचंद यादव की हत्या हो गई है और आरोप लगाया गया है कि इस घटना में पूर्व विधायक अनंत सिंह के समर्थकों की भूमिका है। यह घटना आगामी विधानसभा चुनाव के बीच हुई है, जिससे राज्य में कानून-व्यवस्था और चुनावी हिंसा पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अनंत सिंह समेत 5 नामजद मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या मामले में JDU प्रत्याशी बाहुबली अनंत सिंह समेत पांच लोगों पर केस दर्ज कर ली गई है। मृत दुलारचंद यादव के पोते के दिए गए बयान पर अनंत सिंह, दो भतीजों रणवीर सिंह, कर्मवीर सिंह, करीबी छोटन सिंह और कंजय सिंह पर नामजद और कई अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। यानी दुलारचंद यादव के परिजनों और जन सुराज पार्टी के समर्थकों ने सीधे तौर पर JDU उम्मीदवार और बाहुबली नेता अनंत सिंह के समर्थकों पर हत्या का आरोप लगाया है। अनंत सिंह ने आरोपों को किया खारिज वहीं इस बयान पर JDU उम्मीदवार अनंत सिंह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे RJD उम्मीदवार वीणा देवी के पति बाहुबली सूरजभान सिंह की साजिश बताया है। अनंत सिंह ने कहा कि उनके काफिले पर विरोधियों ने हमला किया और यह सारा खेल सूरजभान सिंह करवा रहे हैं। कौन थे दुलारचंद यादव ? मोकामा के रहने वाले दुलारचंद यादव को ‘टाल का बादशाह’ कहा जाता था। दुलारचंद पहलवानी के साथ-साथ गाना गाने के भी शौकीन थे। उन्होंने जन सुराज के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के लिए एक गाना भी रिकॉर्ड करवाया था। माना जा रहा है कि मोकामा की चुनावी जंग अब व्यक्तिगत रंजिश और हिंसक टकराव की तरफ मुड़ गई है।
बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन एक बार फिर दादा होने का गर्व महसूस कर रहे हैं। दरअसल, उनके नाती अगस्त्य नंदा की अपकमिंग फिल्म ‘इक्कीस’ का ट्रेलर हाल ही में रिलीज़ हुआ है। ट्रेलर देखकर बिग बी इतने इमोशनल हो गए कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक दिल छू लेने वाला पोस्ट शेयर किया। अमिताभ ने अपने पोस्ट में लिखा, “ये तो बस शुरुआत है... गर्व है तुम्हारे इस सफर पर, मेरे बच्चे।” उनकी इस पोस्ट पर फैन्स और फिल्म इंडस्ट्री के सितारों ने जमकर प्यार लुटाया। ‘इक्कीस’ मेगास्टार मेघना गुलज़ार के निर्देशन में बनी है और इसमें अगस्त्य नंदा एक अहम किरदार निभा रहे हैं। फिल्म 1971 के युद्ध के हीरो अरुण खेत्रपाल की कहानी पर आधारित है, जो देश के सबसे युवा परमवीर चक्र विजेता थे। फिल्म के ट्रेलर में अगस्त्य का जोश और समर्पण देखकर फैन्स कह रहे हैं—“दादा की तरह नाती भी लाजवाब!” तो देखना दिलचस्प होगा कि क्या अगस्त्य अपनी पहली ही फिल्म से दादा अमिताभ की विरासत को आगे बढ़ा पाएंगे।
Lucknow Desk: कैसरगंज के बीजेपी नेता और पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के हेलीकॉप्टर को धान के खेत में अचानक उतारना पड़ा। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि तकनीकी खराबी आने के बाद पायलट ने सूझबूझ दिखाते हुए हेलीकॉप्टर को सुरक्षित उतारा, जहां हेलीकॉप्टर देखने के लिए ग्रामीण भी जुट गए। मिली जानकारी के मुताबिक, बृजभूषण शरण सिंह एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। उड़ान के कुछ ही मिनट बाद हेलीकॉप्टर में तकनीकी दिक्कत आने लगी। स्थिति को समझते हुए पायलट ने तुरंत इमरजेंसी लैंडिंग का फैसला लिया और नज़दीकी धान के खेत में हेलीकॉप्टर को सुरक्षित उतार दिया। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। हेलीकॉप्टर की जांच के लिए टेक्निकल टीम बुलाई गई है। फिलहाल राहत की बात यह है कि बृजभूषण शरण सिंह और हेलीकॉप्टर में मौजूद सभी लोग पूरी तरह सुरक्षित हैं। जांच के बाद ही तकनीकी खराबी की असली वजह पता चल पाएगी। इसी बीच पूर्व सांसद बृजभूषण सिंह ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर संदेश दिया। उन्होंने कहा, आज मेरा बिहार प्रदेश के अंदर संदेश व दिनारा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सभा का कार्यक्रम था। संदेश विधानसभा का कार्यक्रम करके मैं दिनारा विधानसभा के लिए हेलीकाप्टर से निकला था। अचानक मौसम खराब होने के कारण हेलीकाप्टर की सुरक्षित लैंडिंग एक खेत में करानी पड़ी। पायलट ने बड़ी सूझबूझ से लैंडिंग कराई। मैं, इस समय गाड़ी से पटना जा रहा हूं। किसी अफवाह में आने की जरूरत नहीं है। किसी प्रकार की कोई हानि नहीं हुई है। हम सभी पूर्णतया सुरक्षित हैं। हेलीकाप्टर की सुरक्षा का प्रबंध कर दिया गया है। प्रशासन व जनता का बहुत सहयोग रहा...धन्यवाद
Lucknow Desk: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज बुधवार को भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान राफेल में उड़ान भरकर इतिहास रच दिया है। इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सुखोई-3 MKI लड़ाकू विमान में भी उड़ान भर चुकी हैं। राष्ट्रपति की इस उड़ान ने आज भारतीय वायुसेना के साथ-साथ पूरे देश को गौरव से भर दिया है। बता दें, भारत का राष्ट्रपति तीनों सेनाओं की कमांडर होता है और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर मौजूद हैं। अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज सुबह अंबाला एयरबेस पहुंचीं, जहां वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह और वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। बता दें, राष्ट्रपति का यह उड़ान न केवल साहसिक नेतृत्व शैली का प्रतीक है, बल्कि भारत की बढ़ती रक्षा क्षमता और 'आत्मनिर्भर भारत' के संकल्प को वैश्विक पटल पर मजबूती से प्रदर्शित करना भी है। फाइटर जेट में उड़ान भरने वाली दूसरी महिला राष्ट्रपति मुर्मू राष्ट्रपति मुर्मू ने फाइटर जेट की सवारी ये पहली बार नहीं की हैं। उन्होंने इससे पहले 8 अप्रैल 2023 को असम के तेजपुर एयरफोर्स स्टेशन से सुखोई-30 MKI फाइटर विमान में भी उड़ान भर चुकी हैं। वह फाइटर जेट उड़ाने वाली तीसरी राष्ट्रपति और दूसरी महिला राष्ट्राध्यक्ष बनी थीं। राष्ट्रपति मुर्मू ने से पहले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल ने भी सुखोई-30 MKI में उड़ान भरी थी। राफेल लड़ाकू विमान का क्या है इतिहास? बता दें, राफेल लड़ाकू विमान फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एविएशन द्वारा निर्मित किया गया है। सितंबर 2020 में अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर भारतीय वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया था। अंबाला एयरबेस राफेल स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरोज' का मुख्य केंद्र है। इन विमानों का इस्तेमाल हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान किया गया था, इसके माध्यम से आतंकवादी ठिकानों पर हमले कर अपनी ताकत को सैनियों ने दिखाया था।
Lucknow Desk: आज 02 नवंबर 2025 को बॉलीवुड के बादशाह Shahrukh Khan ने अपने 60वें जन्मदिन का जश्न मनाया। इस मौके पर उन्होंने अपने परिवार, करीबियों और फिल्म इंडस्ट्री के दोस्तों के साथ खुशियाँ बाँटी। उन्होंने अपने आलीशान घर के बजाय इस बार सार्वजनिक रूप से Mannat से बाहर नहीं दिखने का फैसला किया क्योंकि वहाँ फिलहाल निर्माण का काम चल रहा है। वहीँ, जश्न के लिए उन्होंने Alibaug में स्थित निजी स्थान चुना। एक विशेष फैन-मीट कार्यक्रम Balgandharva Rangmandir, बांद्रा में आयोजित किया गया था, जहाँ सीमित प्रवेश पास के माध्यम से प्रशंसक सीधे शामिल हुए। सोशल मीडिया पर सितारों ने बधाइयाँ दीं। जिसमें Farah Khan ने लिखा, “Happy birthday KING … rule for another 100 years”। बता दें कि Shahrukh Khan के जन्मदिन के मौके पर सिर्फ भारत भर से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी फैंस जुटे। शाहरुख खान के फैन क्लबों ने जन्मदिन सप्ताह के रूप में मनाया, चैरिटी ड्राइव, विशेष बैनर आदि के माध्यम से ख़ास अंदाज़ से जश्न मनाया।
Lucknow Desk: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत में खाप चौधरियों की एक बड़ी पंचायत आयोजित की गई। इस पंचायत के माध्यम से समाज में सुधार और मर्यादा बनाए रखने के कई सख्त निर्णय लिए गए हैं। पंचायत में न केवल लड़कियों, बल्कि लड़कों के पहनावे और उनके मोबाइल फोन इस्तेमाल करने को लेकर भी नियम बनाए गए हैं। इसके अलावा शादियों को मैरिज हॉल्स के बजाय गावों और घरों में आयोजित करने का फैसला लिया गया है। खाप नेता अब इन फैसलों को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए गांव का दौरा करेंगे। लड़कों के हाफ पैंट पर रोक पंचायत में सबसे चर्चा का ध्यान लड़कों के हाफ पैंट (बरमूडा) पहनने पर दिया गया। देशखाप चौधरी ब्रजपाल सिंह धामा ने कहा कि समाज में मर्यादा बनाए रखना जरूरी है। लड़के हाफ पैंट पहनकर घर के अंदर और बाहर घूमते हैं, जो कि शोभनीय नहीं है। इससे समाज की बहू-बेटियों के सामने गलत प्रभाव पड़ता है। लड़कों को अब फुल पैंट या पारंपरिक कुर्ता-पजामा पहनने की सलाह दी गई है। स्मार्टफोन के लिए मना इसके अलावा मोबाइल फोन को लेकर पंचायत ने निर्णय लिया कि 18 साल से कम उम्र के लड़कों को स्मार्टफोन नहीं दिया जाना चाहिए। खाप के अनुसार, कम उम्र में फोन का उपयोग युवाओं को गलत दिशा में ले जा रहा है। स्मार्टफोन का इस्तेमाल बच्चे पढ़ाई के बजाय अन्य चीजों में ज्यादा कर रहे हैं। इससे वे बड़ों की बात नहीं मानते हैं और पढ़ाई पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। 'मैरिज होम' कल्चर के खिलाफ मोर्चा शादियों के बढ़ते खर्च और टूटते रिश्तों पर चिंता जताते हुए पंचायत ने 'मैरिज होम' कल्चर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पंचायत का मानना है कि शादियां गांव और घरों में ही होनी चाहिए। उनका तर्क है कि मैरिज होम में होने वाली शादियां अक्सर जल्दी टूट जाती हैं, जबकि पारंपरिक तरीके से घर से होने वाली शादियों में सामाजिक जुड़ाव अधिक रहता है। शादियों में फिजूलखर्ची रोकने के लिए अब व्हाट्सएप पर भेजे गए। वहीं अब व्हाट्सएप पर शादी के कार्ड को ही आधिकारिक निमंत्रण मानकर स्वीकार करने का फैसला लिया गया है। सबसे हैरानी वाली बात यह है कि खाप के इन नियमों का सियासी समर्थन मिला है।
Lucknow Desk: अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा ने पूरे देश में विरोध तेज कर दिया है। देश में अरावली पहाड़ियों के लिए सियासी और सामाजिक दोनों विवाद तेज है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं के विरोध के साथ- साथ अब विपक्ष ने भी सरकार पर निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अरावली पर्वतमाला की रक्षा पर एक लंबी सोशल मीडिया पोस्ट लिखी है। उन्होंने दिल्लीवासियों से अपील की है कि अरावली को बचाना न सिर्फ पर्यावरण की जरूरत है, बल्कि राजधानी क्षेत्र के अस्तित्व के लिए भी अनिवार्य है। सपा अध्यक्ष ने पोस्ट में क्या लिखा? Akhilesh Yadav ने अपने पोस्ट में लिखा- प्रिय दिल्लीवासियों, बची रहे जो ‘अरावली’ तो दिल्ली रहे हरीभरी! अरावली को बचाना कोई विकल्प नहीं है बल्कि ये तो संकल्प होना चाहिए। मत भूलिए कि अरावली बचेगी तो ही एनसीआर बचेगा। अरावली को बचाना अपरिहार्य है क्योंकि यह दिल्ली और एनसीआर के लिए एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच है या कहें क़ुदरती ढाल है। अरावली ही दिल्ली के ओझल हो चुके तारों को फिर से दिखा सकती है, पर्यावरण को बचा सकती है। अरावली पर्वतमाला ही दिल्ली के वायु प्रदूषण को कम करती है और बारिश-पानी में अहम भूमिका निभाती है। अरावली से ही एनसीआर की जैव विविधता बची हुई है। जो वेटलैंड गायब होते चले जा रहे हैं, उन्हें यही बचा सकती है। गुम हो रहे परिंदों को वापस बुला सकती है। अरावली से ही एनसीआर का तापमान नियंत्रित होता है। इसके अलावा अरावली से एक भावात्मक लगाव भी है जो दिल्ली की सांस्कृतिक-ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा है। अरावली को बचाना, दिल्ली के भविष्य को बचाना है, नहीं तो एक-एक साँस लेने के लिए संघर्ष कर रहे दिल्लीवासी स्मॉग जैसे जानलेवा हालात से कभी बाहर नहीं आ पाएंगे। आज एनसीआर के बुज़ुर्ग, बीमार और बच्चों पर प्रदूषण का सबसे ख़राब और ख़तरनाक असर पड़ रहा है। यहाँ के विश्व प्रसिद्ध हॉस्पिटल और मेडिकल सर्विस सेक्टर तक बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जो लोग बीमारी ठीक करने दिल्ली आते थे, वो अब और बीमार होने नहीं आ रहे हैं। - यही हाल रहा तो उत्तर भारत के सबसे बड़े बाज़ार और आर्थिक केंद्र के रूप में भी दिल्ली अपनी अहमियत खो देगी। - विदेशी तो छोड़िए, देश के पर्यटक भी यहाँ नहीं आएंगे। - न ही दिल्ली में कोई बड़ा इवेंट आयोजित होगा। - न ही कोई राजनीतिक, शैक्षिक, अकादमिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक सम्मेलन आयोजित होगा। - न ही ओलंपिक, कॉमनवेल्थ या एशियाड जैसी कोई बड़ी खेल प्रतियोगिता आयोजित होगी। - यहाँ का होटल, रेस्टोरेंट, टैक्सी-कैब, गाइड, हैंडीक्राफ़्ट बिज़नेस, हर काम-कारोबार व अन्य सभी आर्थिक-सामाजिक गतिविधियाँ ठप्प हो जाने के कगार पर पहुँच जाएंगी। - जब प्रदूषण की वजह से हवाई जहाज़ नहीं चलेंगे, ट्रेनें घंटों लेट होंगी, सड़क परिवहन असुरक्षित हो जाएगा, तो दिल्ली कौन आएगा। - यहाँ तक कि इसका असर ये भी पड़ेगा कि लोग अपने बेटी-बेटे की शादी तय करने से पहले दिल्ली के हवा-पानी के बारे में सोचने लगेंगे। - इसीलिए हर नागरिक के साथ हर स्कूल-कोचिंग, हर व्यापारी, हर कारोबारी, हर दुकानदार, हर रेहड़ी-पटरीवाले, हर घर-परिवार तक को ‘अरावली बचाओ’ अभियान का हिस्सा बनना चाहिए। - हर चैनल, हर अख़बार को ये अभियान चलाना चाहिए। जो लोग सरकार की चाटुकारिता कर रहे हैं, वो भी समझ लें कि उनका स्वयं का जीवन भी ख़तरे में है। अरावली को बचाना मतलब ख़ुद को बचाना है। अगर अरावली का विनाश नहीं रोका गया तो भाजपा की अवैध खनन को वैध बनाने की साज़िश और ज़मीन की बेइंतहा भूख देश की राजधानी को दुनिया की ‘प्रदूषण राजधानी’ बना देगी और लोग दिल्ली छोड़ने को बाध्य हो जाएंगे। इसीलिए आइए हम सब मिलकर अरावली बचाएं और भाजपा की गंदी राजनीति को जनता और जनमत की ताक़त से हराएं! क्यों है जरूरी अरावली? बता दें, अरावली पर्वतमाला उत्तर भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला है, जो राजस्थान से हरियाणा और दिल्ली तक फैली हुई है। यह पर्वत थार रेगिस्तान से आने वाली धूल और रेत को रोकती है, जिससे दिल्ली-NCR में प्रदूषण कम होता है। यह जल संरक्षण, वर्षा वृद्धि और तापमान नियंत्रण में भी सहायक है।
Lucknow Desk: बिहार के सीएम नीतीश कुमार फिर से सुर्खियों हैं। इस बार उन्होंने एक महिला डॉक्टर का हिजाब खींच दिया जिसके बाद से बड़ा राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है। वहीं विपक्ष इस मुद्दे को लेकर बिहार सरकार और सीएम नीतीश पर हमला बोल रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि विपक्षी पार्टियां सीएम नीतीश के इस्तीफे की मांग भी उठा रही हैं और उनके मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये मामला पहली बार नहीं है जब किसी राज्य के सीएम ने सार्वजनिक रूप से किसी महिला के चेहरे से हिजाब खींचा है। सीएम नीतीश से पहले कांग्रेस के सीएम एक कार्यक्रम में महिला का घूंघट हटा दिया था। कांग्रेस ने नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग सीएम नीतीश कुमार के इस हरकत पर कांग्रेस ने सवाल उठाया और अपने आधिकारिक एक्स पोस्ट में इसे ‘बेशर्म हरकत’ बताते हुए नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग की और कहा कि जब राज्य का मुख्यमंत्री इस तरह का व्यवहार करेगा तो महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठना लाजिमी है। कांग्रेस के हमले के जवाब में बीजेपी ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का एक पुराना वीडियो शेयर कर दिया। इस वीडियो में गहलोत एक महिला का घूंघट हटाते हुए यह कहते नजर आते हैं कि घूंघट प्रथा खत्म हो चुकी है। नीतीश कुमार के बाद अशोक गहलोत का वीडियो वायरल हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान सीएम नीतीश 1,200 से अधिक आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र बांटे थे। इसी दौरान एक महिला डॉक्टर हिजाब पहने नीतीश से पत्र लेने पहुंची। डॉक्टर को पत्र देने के बाद नीतीश ने उनके चेहरे से हिजाब नीचे खींच दिया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर छा गया। वहीं इस वीडियो के बाद बिहार सीएम की जमकर आलोचना होने लगी। विपक्ष इसे महिला सुरक्षा और सम्मान का मुद्दा बताकर नीतीश के मानसिक रूप से अस्वस्थ होने का दावा करने लगा। इसी बीच कांग्रेस सरकार में राजस्थान के सीएम रहे अशोक गहलोत का भी एक ऐसा ही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में गहलोत एक कार्यक्रम के दौरान एक हिंदू महिला से बात करते हैं। इसके बाद खुद अपने हाथों से उसका घूंघट हटा देते हैं। महिला का घूंघट हटाने के साथ ही गहलोत उसे यह भी कहते हैं कि घूंघट प्रथा अब खत्म हो चुकी है। फिल्हाल यह वीडियो कुछ साल पुराने एक कार्यक्रम का है लेकिन नीतीश के हिजाब हटाने वाली घटना के बाद यह अब फिर से सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा है। फिलहाल सीएम नीतीश कुमार के बुर्का हटाने के विवाद के बाद राजस्थान की यह पुरानी घटना फिर से चर्चा में आ गई है। सवाल उठ रहा है कि क्या बुर्का और घूंघट जैसे विषयों को राजनीतिक मंचों से इस तरह उठाना सही है?